भेरू
v/s नाथू
भेरू
टू नाथू:
शैर
सूनेगा ?नाथू
:हा
बोलभेरू : अन्धेरी रात थी रात मे आया भूत , नाथू की मा की चूत।
नाथू सरपंच को शिकायत करता
है :
भेरू ने मूझे गाली दी।
सरपंच टू भेरू : क्या गाली दी तूनै।
भेरू : कूछ नही मेने तो शैर बोला की अंधेरी रात थी रात मे आया भूत नाथू की मा की चूत।
सरपंच:भूत ओर चूत काव्य बनतै हे ।गाली नही शैर है।
नाथू सन्तूष्ठ नही होता हे।
कुछ दीन बाद
नाथू भेरू से : शैर सूनेगा
भेरू : हा
नाथू : अन्धेरी रात थी रात मे आया भूत , भेरू की मा का भोसडा ...
भेरू सरपंच कै पास जाता है गुस्से मे ओर बोलता हे नाथू ने मूजै गाली दी।
सरपंच : क्या गाली दी
भेरू : अन्धेरी रात थी रात मे आया भूत , भेरू की मा का भोसडा।
सरपंच नाथू सै : यै तो गाली है।
भूत ओर भोसडा काव्य नही बनतै है।
नाथू : लेकिन ईसनै पुरी शायरी सुनी ही नही।
सरपंच : तो पुरी शायरी बोलो।
नाथू : अन्धेरी रात थी रात मे आया भूत , भेरू की मा का भोसडा ओर सरपंच की माकी चूत।
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